पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरुष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म-सा- के शिष्य पूज्य गुरुदेव अवंति तीर्थाेद्धारक खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म-सा- की पा
धुलियाश्रीसंघकेप्रमुखमंदिरश्रीशीतलनाथप्रभुकेमंदिरमेंपूज्यगुरुदेवगच्छाधिपतिआचार्यश्रीजिनमणिप्रभसूरीश् Read more..
0 ता. 12-11-19 को धूलिया से अक्कलकुआ की ओर विहार 0 ता. 23-11-19 को अक्कलकुआ में जिनमंदिर दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा एवं वा Read more..
धूलिया श्री संघ में एकता हुई
पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरुष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म-स Read more..
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संसार में जो भी दुःख है, वो सब हमारे अज्ञान के कारण है ।
ज्ञान के अभाव में हम देव गुरु और धर्म की पहचान नही कर पा रहे है।
उसी कारण हमारा चार गति में भटकना जारी है ।
ज्ञान के अभाव में जो ग्रहण करना चाहिए उसे हम छोड़ देते है, तुच्छ चीजों को पकड़ के रखते है, सही और गलत का निर्णय भी हम अज्ञान के कारण नही कर पा रहे है ।
संसार छोड़ने के लिए है ।
संयम पालन के लिये है ।
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जब मन एक नए पुष्प की भाँती खिला हो, तो रात के अँधेरे में भी नवप्रभात का आगमन होता है। जब मैं एकांत का अनुभव करता हूँ तो भावों के प्रवाह की शब्दों से प्रस्तुति हो जाती हैं... --उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.
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जटाशंकर कोई व्यक्ति नहीं है। यह वह पात्र है जो हर व्यक्ति के भीतर छिपा बैठा है। जीवन में व्यक्ति विविध घटनाओं से गुजरता है! अच्छी भी, बुरी भी! उन क्षणों में मानसिकता भी उसी प्रकार की हो जाती है। तब एक सच्चे सलाहकार की आवश्यकता होती है, जिससे जान सकें कि उन क्षणों में उचित उपाय क्या है? यह गहरी से गहरी बात हँसी द्वारा हमें समझा देता है। यही इसकी विशिष्टता है।
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पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरुष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म-सा- के शिष्य पूज्य गुरुदेव अवंति तीर्थाेद्धारक खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म-सा- की पा
जैसलमेर 1 नवंबर। श्री जैसलमेर लोद्रवपुर पार्श्वनाथ जैन श्वे. ट्रस्ट जैसलमेर द्वारा दुर्ग स्थित जिनालयों में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. के शिष्य पूज्य मु
गिरनार तीर्थ में बनेगा खरतरगच्छ का विशाल परिसर लाभ लिया डोसी परिवार ने धुले 20 अक्टुंबर। गिरनार तीर्थ में विशाल भूखण्ड क्रय कर वहाँ जिनमंदिर, दादावाडी, भैरव मंदिर, धर्मशाला, भोजनशाला, उपाश्र
Shri Jin Kantisagarsuri Smarak Trust
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